संसदीय राजभाषा समिति के प्रतिवेदन के प्रथम खण्ड में की गई सिफारिशों पर राष्ट्रपति जी का आदेश

भारत सरकार, गृह मंत्रालय (राजभाषा विभाग) के दिनांक 30 दिसम्बर, 1988 के संकल्प संख्या 1/20012/1/87-रा.भा. (क-1) की प्रति

(17) (इ)   मानक शब्दावली का निर्माण

(18) समिति ने शब्दावली निर्माण के संबंध में निम्नलिखित सिफारिशें की हैः

  1. नए शब्दों के मानक पर्याय निश्चित करना
    शब्दावली आयोग 1970 के बाद विभिन्न विषयों में प्रचलन में आए हजारों नए शब्दों के मानक पर्याय निश्चित करने का काम तत्काल अपने हाथ में ले और अपने शब्द ग्रंथों को अद्यतन बनाने की दिशा में कदम उठाए।
  2. शब्दावलियों की आवधिक पुनरीक्षा
    समय-समय पर इन शब्दावलियों की पुनरीक्षा की जानी चाहिए और अद्यतन बनाने के लिए इनमें विज्ञान की नई खोजों तथा अन्य परिस्थितियों के अनुसार नई अभिव्यक्तियों के लिए उपयुक्त नए शब्द जोड़े जाने चाहिए।
  3. निर्माणाधीन शब्दावलियों के निर्माण कार्य में तेजी लाना
    विभिन्न विभागों की निर्माणाधीन शब्दावलियों के निर्माण के कार्य में तेजी लाई जाए ताकि यह कार्य 1988 तक पूरा कर लिया जाए।
  4. उच्चस्तरीय समिति का गठन
    वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के सदस्यों के रिक्त स्थान तत्काल भर लिए जाएं तथा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए जो शब्दावली निर्माण के क्षेत्र में मार्गदर्शन करे।
    ये सिफारिशें स्वीकार कर ली गई हैं। इनके संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का शिक्षा विभाग अपेक्षित कार्रवाई करे। विधि शब्दावली की पुनरीक्षा के संबंध में न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग का राजभाषा खंड अपेक्षित कार्रवाई करे।

(च) मानक शब्दावली का प्रयोग, प्रचार-प्रसार और वितरण

(19) समिति ने मानक शब्दावली के प्रयोग तथा उसके प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए निम्नलिखित सिफारिशें की हैः-

  1. मानक हिंदी पर्यायों का प्रयोग सुनिश्चित करना
    मानक शब्दावलियों में विभिन्न अंग्रेजी शब्दों के लिए जो हिंदी पर्याय दिए गए हैं अथवा दिए जाएंगे, उनका ही प्रयोग सुनिश्चित किया जाए जिससे राजभाषा का मानक रूप उभर कर आए।
  2. प्राध्यापकों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन
    विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों के लिए शब्दावली कार्यशालाएं आयोजित की जाएं ताकि उपयुक्त शब्दावली के प्रयोग में उनके ज्ञान का विस्तार हो और उनकी भाषायी क्षमता बढ़ सके।
  3. अखिल भारतीय शब्दावली की पहचान
    अखिल भारतीय शब्दावली की पहचान की जाए और सभी आधारभूत शब्दों की सूचियां तैयार कर आहिंदी भाषी राज्यों में राज्य पुस्तक मंडलों को भेजी जाएं और इन राज्यों में स्थित विद्वानों के सहयोग से शब्दावली कार्यशालाएं आयोजित की जाए।
  4. शब्दावली आयोग द्वारा प्रकाशित शब्द संग्रहों का अनुकूलन
    शब्दावली आयोग द्वारा प्रकाशित शब्द संग्रहों के अनुकूलन के लिए सभी राज्यों में उपयुक्त एजेंसियां स्थापित की जाएं ताकि हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में रचित विज्ञान एवं तकनीकी साहित्य में शब्दावली की अभीष्ट एकरूपता स्थापित हो सके।
  5. अध्ययन-अध्यापन में मानक शब्दावलियों का प्रयोग
    शब्दावली निर्माण में लगे अभिकरण विषयवार सूचियां विद्यालयों, विश्वविद्यालयों तथा प्राध्यापकों को भेजें और राज्यों में जाकर स्कूलों और विश्वविद्यालयों के अध्यापकों के लिए संगोष्ठियों और कार्यशालाओं आदि का आयोजन करें, जिससे वे नवनिर्मित शब्दों से परिचित हो सकें और अध्ययन-अध्यापन के दौरान उनका प्रयोग कर सकें। ग्रंथ अकादमियों तथा सरकारी प्रकाशन संस्थानों को भी इस ओर अधिकाधिक ध्यान देना होगा।
  6. कार्यशालाओं में पारिभाषिक शब्दावली की जानकारी देना
    हिंदी में काम करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों की सहायता के लिए आयोजित की जाने वाली कार्यशालाओं में पारिभाषिक शब्दावली की जानकारी अवश्य कराई जाए ताकि वे अपने रोजमर्रा के काम में उसका प्रयोग कर सकें।
  7. वैज्ञानिक तथा तकनीकी विषयों पर हिंदी में पुस्तक लेखन
    सरकारी स्तर पर हिंदी में वैज्ञानिक तथा तकनीकी विषयों पर अधिकाधिक पुस्तकें लिखी जाएं। इस क्षेत्र में निजी प्रकाशकों को भी प्रोत्साहित किया जाए। इन पुस्तकों में प्रकाशन की एक पूर्व शर्त यह हो कि इनमें प्रामाणिक शब्दावली का प्रयोग किया जाए।
  8. केंद्रीय सरकार के कामकाज में मानक शब्दावली का प्रयोग
    वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग तथा संबंधित मंत्रालयों द्वारा निर्मित विधि, विज्ञान और तकनीकी शब्दावलियों का केंद्रीय सरकार के कामकाज में, जिसमें कि आकाशवाणी व दूरदर्शन का प्रसारण भी शामिल है, समुचित प्रयोग किया जाए।
  9. शब्दावलियों का पर्याप्त संख्या में वितरण
    वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग और विधायी विभाग के राजभाषा खंड द्वारा प्रकाशित तथा अन्य मंत्रालयों द्वारा निर्धारित और प्रकाशित शब्दावलियां सभी कार्यालयों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराई जाएं।
  10. शिक्षा से संबंधित संस्थानों को शब्दावलियों के बारे में विस्तार से सूचना देना
    शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित संस्थानों जैसे राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा विश्वविद्यालयों आदि को भी वर्तमान और भविष्य में निर्मित की जाने वाली शब्दावलियों के बारे में विस्तार से सूचना दी जाए और उनसे आग्रह किया जाए कि वे विभिन्न विषयों के लिए हिंदी तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री में उसका यथासंभव व्यवहार सुनिश्चित करें। इसी प्रकार का अनुरोध ग्रंथ अकादमियों, सरकारी प्रशिक्षण सस्थानों तथा निजी प्रकाशकों से भी किया जा सकता है कि वे विभिन्न विषयों पर अपने प्रकाशनों में इन शब्दावलियों का ही यथासंभव प्रयोग करें।
  11. शब्दावली बैंक की स्थापना
    विधि, विज्ञान तकनीकी और मानविकी के क्षेत्र में निर्मित शब्दावली के भविष्य में कम्प्यूटर द्वारा इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए शब्दावली बैंक का निर्माण तुरन्त किया जाए। यह कार्य वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग को सौंपा जा सकता है।
  12. विधि शब्दावली का न्यायालयों में वितरण
    विधायी विभाग द्वारा निर्मित विधि शब्दावली का भरपूर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इसकी प्रतियां देश भर में फैले ऐसे न्यायालयों में भी, जहाँ हिंदी का प्रयोग किए जाने की संभावना हो, निःशुल्क अथवा कम मूल्य पर उपलब्ध रहनी चाहिए।
  13. विधि की पाठ्य पुस्तकों में विधि शब्दावली का प्रयोग
    हिंदी माध्यम से विधि की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की सुविधा के लिए पाठ्य पुस्तकों में भी, चाहे वे विधि पुस्तकों का अनुवाद हो अथवा हिंदी में मूलतः लिखी जाए, प्राधिकृत विधि शब्दावली का प्रयोग अपेक्षित है।
  14. विधि शब्दावली का वितरण
    विधायी विभाग विधि शब्दावली की अनेकानेक प्रतियां छपवाकर इसके वितरण की व्यवस्था करे, जिससे कि उसका प्रयोग तथा भाषा में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके।

    उपर्युक्त सभी सिफारिशें स्वीकार कर ली गई हैं। मानक शब्दावली का प्रयोग सरकारी कार्यालयों में सुनिश्चित करने के लिए राजभाषा विभाग ने पहले से ही आदेश जारी किए हुए है, जिसका अनुपालन मंत्रालयों/विभागों आदि द्वारा सुनिश्चित किया जाए। उपरोक्त (vi) के भी निदेश राजभाषा विभाग द्वारा दिए जाएं।

    मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग द्वारा विकसित मानक शब्दावली के प्रचार-प्रसार और शिक्षा के क्षेत्र तथा पुस्तक प्रकाशन में उसके प्रयोग, शब्दावली बैंक की स्थापना के लिए सिफारिशों में उल्लिखित कार्रवाई शिक्षा विभाग करे।

    इसी प्रकार विधि शब्दावली के संबंध में अपेक्षित कार्रवाई विधि और न्याय मंत्रालय का राजभाषा खण्ड करे।

(छ) मूल प्रारूपण

(20) विधि प्रारूपण में हिंदी का प्रयोग

  1. विधि क्षेत्र में मूल प्रारूपण हिंदी में किया जाए ताकि हिंदी में बनी विधियों का निर्वचन कर निर्णय हिंदी में लिखे जाएं।
  2. कोड, मैनुअल इत्यादि के मूल प्रारूपण में हिंदी का प्रयोग
    भविष्य में नए कोड, मैनुअलों आदि का सृजन मूल रूप से हिंदी में किया जाए।

ये सिफारिशें सिद्धांत रूप में स्वीकार कर ली गई हैं। यद्यपि अभी इन पर पूरी तरह अमल करना संभव नहीं होगा, फिर भी इसके लिए यथासंभव प्रयास किया जाना चाहिए। विधि के क्षेत्र में मूल प्रारूपण के बारे में विधायी विभाग आवश्यक कार्रवाई करे।

जहां तक कोडों, मैनुअलों का सृजन मूल रूप से हिंदी में किए जाने का संबंध है, राजभाषा विभाग इस संबंध में सभी मंत्रालों/विभागों आदि को आवश्यक निर्देश जारी करे।

(ज) शिक्षा के क्षेत्र में संबंधित अन्य सिफारिशें

(21) समिति ने विश्व की अन्य भाषाओं में उपलब्ध ज्ञान-विज्ञान के हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद की आवश्यकता पर बल देते हुए यह सिफारिश की है कि देश के अद्यतन विकास के लिए उन्नत देशों की भाषा में प्रकाशित होने वाले ज्ञान-विज्ञान का आवश्यकतानुसार हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में सीधे और अविलम्ब अनुवाद होना चाहिए जिसके लिए एक नया संगठन स्थापित किया जाए।

सिफारिश इस संशोधन के साथ स्वीकार कर ली गई है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग द्वारा यह कार्य अपने अधीन वर्तमान संगठनों के माध्यम से उन्हें आवश्यकतानुसार सुदृढ़ बनाकर कराया जाए।

तद्नुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय का शिक्षा विभाग इस संबंध में अपेक्षित कार्रवाई करे।

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