शब्दावली पर्यायों के निर्माण के संबंध में राष्ट्रपति जी के अप्रैल,1960 के आदेश में वर्णित दिशा-निर्देश
- वर्ष 1955 के मध्य में भारत सरकार ने श्री बी.जी. खेर की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने जुलाई, 1956 में राष्ट्रपति के समक्ष अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसके पाँचवे अध्याय में पृ. 56 से 61 तक वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली की समस्या पर विचार व्यक्त किए गए हैं। राजभाषा आयोग के प्रतिवेदन पर संसदीय समिति के विचार-विमर्श के पश्चात् राष्ट्रपति जी ने अप्रैल, 1960 में अपना आदेश पारित किया था। आदेश में शब्दावली के पर्यायों के निर्माण के संबंध में कहा गया हैः-
- राजभाषा आयोग की सिफारिशों को, जिन्हें संसदीय समिति ने स्वीकार कर लिया है इस क्रम में रखा जा सकता है।
- शब्दावली के निर्माण में स्पष्टता, सटीकता एवं सुगम्यता को मुख्य ध्येय के रूप में स्वीकार करना चाहिए।
- कतिपय प्रकरणों में अंतरराष्ट्रीय शब्दावली को ग्रहण किया जा सकता है।
- शब्दावली के पर्यायों के निर्माण में भारतीय भाषाओं से समीपता का ध्यान रखना चाहिए।
- राज्य तथा केंद्र सरकारों के मध्य शब्दावली निर्माण की गतिविधियों में समुचित समन्वय रखना चाहिए ताकि हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में तालमेल बनाया जा सके।
संसदीय समिति का यह मत है कि विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्र में हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की शब्दावलियों में अधिक से अधिक एकरूपता होनी चाहिए तथा अंग्रेजी भाषा या अंतरराष्ट्रीय पर्यायों के समरूप होनी चाहिए। इस संदर्भ में एक ऐसे आयोग का गठन किया जाना चाहिए जो विभिन्न संस्थाओं के कार्यों में समन्वय स्थापित कर सके तथा भारतीय भाषाओं में अधिकृत शब्दावलियां उपलब्ध करा सके।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा निम्नांकित कार्रवाई की जा सकती हैः-
- आज तक किए गए कार्यों की समीक्षा की जानी चाहिए तथा पर्याय निर्माण के सिद्धांतों के अनुसार तैयार शब्दावलियों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावलियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयुक्त पर्यायों को बिना अधिक परिवर्तन के या भारतीय संदर्भ से मेल खाने वाले परिवर्तन के साथ स्वीकार करना चाहिए।
- शब्दावली पर्यायों के निर्माण के लिए उचित स्तर पर समन्वित प्रयासों को व्यावहारिक रूप प्रदान करना।
- समिति की सिफारिशों के अनुरूप वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली पर्यायों के निर्माण के लिए स्थायी आयोग का गठन करना।
उपर्युक्त आदेश के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि अभी तक हिंदी भाषा में वैज्ञानिक शब्दावली का निर्माण मंत्रालय के हिंदी विभाग ने संपन्न किया है। इस कार्य में अनेक विशेषज्ञ समितियों ने, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के बोर्ड (जिसकी स्थापना शिक्षा मंत्रालय ने दिसंबर 1950 में की थी) के निर्देशानुसार सहयोग दिया है।
- वैज्ञानिक शब्दावली बोर्ड की संदर्भ शर्तेः
वैज्ञानिक शब्दावली बोर्ड की संदर्भ शर्तें तथा शब्दावली के कार्य को निर्देशित करने के सिद्धांत इस प्रकार है;- हिंदी भाषा तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दों को अपनाने के संबंध में शिक्षा विभाग के केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के दिशा-निर्देशों का आनुपालन।
- उन सिद्धांतों का निर्धारण करना जिनके अनुसार अंतरराष्ट्रीय शब्दावली को भारतीय भाषाओं के अनुरूप रूपांतरित करना।
- भारतीय भाषाओं में से ऐसे उपयुक्त शब्दों के चयन करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना, जिन्हें ज्ञान के उन क्षेत्रों में प्रयुक्त किया जा सके जहां विदेशी भाषाओं के पर्यायों का उपयोग उचित न हो।
- विज्ञान विषयों की पाठ्य पुस्तकों को तैयार करने की उपयुक्त नीति का निर्धारण एवं अनुपालन
वैज्ञानिक शब्दावली बोर्ड द्वारा निर्धारित सिद्धांतः
- अंतरराष्ट्रीय शब्दावली से तात्पर्य ऐसे शब्दों से है जिनका उल्लेख समय-समय पर अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों की वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली बैठकों में किया जाता है।
- बोर्ड उन विचारों से सहमत है जो विश्वविद्यालय आयोग तथा शिक्षा विभाग के केंद्रीय परामर्श बोर्ड द्वारा व्यक्त किए गए हैं कि जहां तक संभव हो, हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में विज्ञान संबंधी विषयों में विशेषतः प्राणिशास्त्र तथा जीवविज्ञान में अंतरराष्ट्रीय शब्दों या पर्यायों का ही उपयोग करें।
- गणित तथा अन्य विज्ञान विषयों में प्रतीक चिह्न, गणितीय सूत्र आदि को मूल रूप में जस का तस स्वीकार कर लें और रोमन अक्षरों को हिंदी में मूल स्वरूप में ही अपना लें।
- विज्ञान विषयों के शब्दकोश तैयार करते समय अंतरराष्ट्रीय पारिभाषिक शब्दों का लिप्यंतरण देवनागरी लिपि में करना चाहिए तथा कोष्ठक में रोमन लिपि में उन शब्दों को लिख देना चाहिए साथ में यदि आवश्यक हो तो ऐसे शब्दों के अनुवाद या व्याख्या भी देना चाहिए।
बोर्ड द्वारा, विज्ञान विषयों के लिए, हिंदी भाषा में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर के लिए ऐसे शब्दकोश अनुमोदित किए जा चुके हैं तथा शिक्षा विभाग द्वारा इन्हें प्रकाशित भी किया जा चुका है। विश्वविद्यालय स्तर के लिए ऐसे शब्दकोशों का निर्माण किया जा रहा है।